मुस्कुराओ जला कर दिए,
दीप जगमग तो कर लीजिये |
दीप आशा के जलते रहें,
सौख्य समता सहज़ता लिए |
दीप को जब जलाओगे तुम,
सामने हम ही होंगे सनम |
अर्चना के दिए जब जलेंगे ,
याद में हम ही होंगे सनम |
भोर आशा की मन में जगे,
ऐसी दीपों की माला सजे |
दूर हों वे अँधेरे जहां के,
ज़िंदगी में उजाला भरे |
तेरे दिल की ये तनहाइयां,
और अंधेरों की गहराइयाँ |
यादों के सहरा में भी सनम,
लायें जीवन में अंगडाइयां |
दीप की ज्योति से हो तरंगित,
तेरे मन का सुमन खिल उठे |
याद करके हमें मुस्कुराओ,
मुस्कुराओ जला कर दिए ||
2 टिप्पणियां:
पाव पाव दीपावली, शुभकामना अनेक |
वली-वलीमुख अवध में, सबके प्रभु तो एक |
सब के प्रभु तो एक, उन्हीं का चलता सिक्का |
कई पावली किन्तु, स्वयं को कहते इक्का |
जाओ उनसे चेत, बनो मत मूर्ख गावदी |
रविकर दिया सँदेश, मिठाई पाव पाव दी ||
वली-वलीमुख = राम जी / हनुमान जी
पावली=चवन्नी
गावदी = मूर्ख / अबोध
एक दीवार पे दीप जला था
मैं ये समझा तुम हंसती हो।
सुन्दर भाव अपनी प्रीत के नाम।
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