....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
तेरे जाने से......
हम नहीं मुस्कुराए हें इक ज़माने से |
ऐसे हालात हुए हैं तेरे जाने से |
हंसते-रोते भी रहे यूं तो जीने के लिए ,
दर्द सारे यूंही पीते रहे पीने के लिए |
गीत जीने के भी हमने सभी गाये हैं ,
मन में खुशियों के ढेरों सुमन उगाये हैं |
यादे उलफत को भुलाया कई बहाने से ,
ऐसे हालात हुए हैं तेरे जाने से |
तन में कलियाँ भी खिलीं, मस्त हवाएं भी चलीं ,
तन के आकाश में वो मस्त हवाएं छाईं |
मन के पंछी ने भी हो मस्त लगाए फेरे,
दिल की गलियों में भी वो मस्त बहारें आयीं |
हर खुशी पायी है, पायी है सभी ऊंचाई,
तुमको हर बार भुलाया है हर बहाने से |
ऐसे हालात हुए हैं तेरे जाने से |
हम नहीं मुस्कुराए हें इक ज़माने से||
तेरे जाने से......
हम नहीं मुस्कुराए हें इक ज़माने से |
ऐसे हालात हुए हैं तेरे जाने से |
हंसते-रोते भी रहे यूं तो जीने के लिए ,
दर्द सारे यूंही पीते रहे पीने के लिए |
गीत जीने के भी हमने सभी गाये हैं ,
मन में खुशियों के ढेरों सुमन उगाये हैं |
यादे उलफत को भुलाया कई बहाने से ,
ऐसे हालात हुए हैं तेरे जाने से |
तन में कलियाँ भी खिलीं, मस्त हवाएं भी चलीं ,
तन के आकाश में वो मस्त हवाएं छाईं |
मन के पंछी ने भी हो मस्त लगाए फेरे,
दिल की गलियों में भी वो मस्त बहारें आयीं |
हर खुशी पायी है, पायी है सभी ऊंचाई,
तुमको हर बार भुलाया है हर बहाने से |
ऐसे हालात हुए हैं तेरे जाने से |
हम नहीं मुस्कुराए हें इक ज़माने से||
4 टिप्पणियां:
बढ़िया नज्म-
आभार आदरणीय डाक्टर साहब-
हर खुशी पायी है, पायी है सभी ऊंचाई,
तुमको हर बार भुलाया है हर बहाने से |
गए हैं दर्द बन सब अफ़साने से
सुन्दर रचना है। नज़राना है।
धन्यवाद रविकर....
धन्यवाद शर्मा जी.....सच कहा.....
ये दर्द के अफ़साने हैं
तुझे भुलाने के बहाने हैं|
भुलायें तुझे लेकिन कैसे-
बस यादों के नज़राने हैं|
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