....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
हम लोग बादामी से कार द्वारा २६-१२-१३-को प्रातः ६ बजे जोगफाल्स के लिए निकल पड़े | बादामी रोड से गुलबर्गा-बीजापुर-हुबली हाईवे पर कोंनूर-->सोलापुर रोड...हुबली--->हुबली-धारवाड़ हाईवे...सिरसी-बेलगाव रोड...सिरसी-->सिरसी-सिद्धपुर रोड...सिद्धपुर...होते हुए लगभग १२ बजे बंगलौर-हनोवर हाईवे पर स्थित ‘मत्थूगा होम स्टे रिजोर्ट’ पर पहुंचे | फ्रेश होकर लंच के बाद तुरंत ही जोग्फाल्स के लिए चल दिए जो रिजोर्ट से सिर्फ ८ किमी की दूरी पर है |
भारतीय दक्षिण पठार के पश्चिमीघाट की पहाड़ियों व वनों से होकर बहने वाली श्रावती नदी पर स्थित जोग फाल्स लगभग ९०० मीटर की ऊंचाई से गिरते हैं| जो मुख्यतः चार धाराओं में हैं जो राजा, रोअरर, रोकेट व रानी नाम से जाने जाते हैं| इस समय दिसंबर के मौसम में नदी में जल बहुत ही कम था अतः झरनों की धाराएं भी अत्यंत ही क्षीण व कृशकाय थीं| फिर भी दृश्य नयनाभिराम लगे| वर्षाऋतु में इन का सौन्दर्य देखते ही बनता होगा | शाम के ५ बजे तक दृश्यों का आनंद उठाते हुए हम लोग रात्रि विश्राम हेतु रिजोर्ट में लौट आये|
होन्नेमराडू – २७-१२-१३ दोपहर लंच के पश्चात रिजोर्ट से चेक-आउट करके हम लोग मत्थूगा होम-स्टे रिजोर्ट से लगभग १४ किमी दूर ( जोग फाल्स से ६ किमी ) घने जंगल में स्थित होन्नामराडू गाँव में श्रावती नदी के बैक-वाटर्स में होंनामराडू वाटर सपोर्ट स्थल पर पहुंचे | होन्नेमराडू अर्थात सुनहरी रेत का स्थान... स्वर्णिम झील | श्रावती नदी पर स्थित प्रसिद्द लिग्नामक्की डेम भी यहीं है| बहुत बड़े जलीय भाग ( वाटर बोडी) के मध्य कई द्वीप( आईलेंड ) हैं| हम कार द्वारा जंगली ट्रेक से होते हुए जलकुंड के किनारे तक पहुंचे जहां स्टाफ तैयारी के साथ इंतज़ार कर रहा था| सभी को लाइफ-बेल्ट पहनाकर कोराइकल ( बांस-बैंत की वाटरप्रूफ ...यहाँ प्लास्टिक की... बनी गोल–स्थानीय नाव ) द्वारा आईलेंड पर पहुंचाया गया जहां बोटिंग व केयाकिंग वाटर स्पोर्ट्स का आनंद लिया गया|
हम्पी बादामी यात्रा
वृत्त-११ (समापन भाग )...जोग फाल्स व होन्नेमराडू...
श्रावती नदी व्यू -जोग फाल्स |
रास्ते में श्रावतीनदीका दृश्य -पुलसे |
जोगफाल्स पर पिआनो वादक आराध्य |
जोगफाल्स |
जोग फाल्स |
जोगफाल्स पर |
हम लोग बादामी से कार द्वारा २६-१२-१३-को प्रातः ६ बजे जोगफाल्स के लिए निकल पड़े | बादामी रोड से गुलबर्गा-बीजापुर-हुबली हाईवे पर कोंनूर-->सोलापुर रोड...हुबली--->हुबली-धारवाड़ हाईवे...सिरसी-बेलगाव रोड...सिरसी-->सिरसी-सिद्धपुर रोड...सिद्धपुर...होते हुए लगभग १२ बजे बंगलौर-हनोवर हाईवे पर स्थित ‘मत्थूगा होम स्टे रिजोर्ट’ पर पहुंचे | फ्रेश होकर लंच के बाद तुरंत ही जोग्फाल्स के लिए चल दिए जो रिजोर्ट से सिर्फ ८ किमी की दूरी पर है |
जोग फाल्स ----कर्नाटक के शिमोगा जिला में भारत में सबसे ऊंचाई से गिरने वाले विश्व प्रसिद्ध झरने हैं इसे गैरूसोप्पा झरने भी कहा जाता है | यह लगातार बहने वाले झरनों में सर्वोच्च ऊंचाई से गिरने वाला झरना है जो सीधा-सीधा नीचे गिरता है बिना किसी चट्टान से छूते हुए | शिमोगा कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी है , इसे कर्नाटक का ‘धान का कटोरा’ भी कहा जता है| शिमोगा उत्तम गुणवत्ता की सुपारी (पान में प्रयोग की जाने वाली …Betel nut ) का बहुत बड़ा बाज़ार है|
रिजोर्ट में -मोर्निंग वाक्-निर्विकार व आराध्य |
आओ आओ कौओं के बच्चो ..देखो .आदमी !! |
भारतीय दक्षिण पठार के पश्चिमीघाट की पहाड़ियों व वनों से होकर बहने वाली श्रावती नदी पर स्थित जोग फाल्स लगभग ९०० मीटर की ऊंचाई से गिरते हैं| जो मुख्यतः चार धाराओं में हैं जो राजा, रोअरर, रोकेट व रानी नाम से जाने जाते हैं| इस समय दिसंबर के मौसम में नदी में जल बहुत ही कम था अतः झरनों की धाराएं भी अत्यंत ही क्षीण व कृशकाय थीं| फिर भी दृश्य नयनाभिराम लगे| वर्षाऋतु में इन का सौन्दर्य देखते ही बनता होगा | शाम के ५ बजे तक दृश्यों का आनंद उठाते हुए हम लोग रात्रि विश्राम हेतु रिजोर्ट में लौट आये|
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मत्थुगा होम स्टे रिजोर्ट |
लो यहाँ भी आगये हमें तंग करने |
मकडी -सुबह से ही काम पर ..शिकारी-जाल बुनते हुए |
होन्नेमराडू – २७-१२-१३ दोपहर लंच के पश्चात रिजोर्ट से चेक-आउट करके हम लोग मत्थूगा होम-स्टे रिजोर्ट से लगभग १४ किमी दूर ( जोग फाल्स से ६ किमी ) घने जंगल में स्थित होन्नामराडू गाँव में श्रावती नदी के बैक-वाटर्स में होंनामराडू वाटर सपोर्ट स्थल पर पहुंचे | होन्नेमराडू अर्थात सुनहरी रेत का स्थान... स्वर्णिम झील | श्रावती नदी पर स्थित प्रसिद्द लिग्नामक्की डेम भी यहीं है| बहुत बड़े जलीय भाग ( वाटर बोडी) के मध्य कई द्वीप( आईलेंड ) हैं| हम कार द्वारा जंगली ट्रेक से होते हुए जलकुंड के किनारे तक पहुंचे जहां स्टाफ तैयारी के साथ इंतज़ार कर रहा था| सभी को लाइफ-बेल्ट पहनाकर कोराइकल ( बांस-बैंत की वाटरप्रूफ ...यहाँ प्लास्टिक की... बनी गोल–स्थानीय नाव ) द्वारा आईलेंड पर पहुंचाया गया जहां बोटिंग व केयाकिंग वाटर स्पोर्ट्स का आनंद लिया गया|
लगभग चार बजे हम लोग वापस बेंगलोर की ओर चल दिए तथा लगभग ४०० किमी चलकर
सागर, चित्रदुर्ग, सिरसी, तुमकुर आदि होते हुए रात्रि १२ बजे बेंगलोर पहुंचे|
आराध्य लाइफ जेकेट में |
कोराइकल को खेते हुए निर्विकार |
फिश लार्वा , टेडपोल--तैरते हुए |
विशाल श्रावती बेक-वाटर्स व कोराइकल |
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आराध्य पतवार उठाने की प्रेक्टिस |
लिग्नामक्की बाँध |
2 टिप्पणियां:
वाह, आनन्दमय पर्यटन।
धन्यवाद पांडे जी....आनंद ..
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