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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

उदयपुर..नाथद्वारा ...कोटा यात्रा ...भाग -३ कोटा .....ड़ा श्याम गुप्त ...

                              ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

 उदयपुर..नाथद्वारा ...कोटा यात्रा ...भाग -३..कोटा ...



कोटा राजस्थान का एक प्रमुख औद्योगिक एवं शैक्षणिक शहर है। यह राजस्थान का पांचवां बड़ा शहर है | राजधानी जयपुर से लगभग २४० किलोमीटर दूर सडक एवं रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है | दक्षिण राजस्थान में चंबल नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित कोटा उन शहरों में है जहां औद्योगीकरण बड़े पैमाने पर हुआ है। कोटा अनेक किलों, महलों, संग्रहालयों, मंदिरों और बगीचों के लिए लोकप्रिय है। यह शहर नवीनता और प्राचीनता का अनूठा मिश्रण है। जहां एक तरफ शहर के स्मारक प्राचीनता का बोध कराते हैं वहीं चंबल नदी पर बना हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्लान्ट और न्यूक्लियर पावर प्लान्ट आधुनिकता का एहसास कराता है।

कंसुआ --  कन्व ऋषि का आश्रम --छोटी सी नदी की धरा के किनारे अत्यंत प्राचीन शिव मंदिर है |जिसे शकुन्तला व दुष्यंत पुत्र भरत को पालने वाले कंव ऋषि का आश्रम कहा जाता है |  शकुंतला व भरत यहीं पीला थे यह तो निश्चित नहीं है | यहाँ चतुर्मुखी शिवलिंग हैं जो एकलिंग शिव के प्रतीक लगते हैं एवं शिवलिंग के साथ बनी हुई द्रोणी की बनावट से अत्यंत प्राचीन प्रतीत होती है|मंदिर भी अत्यंत पूरा शैली का बना हुआ है |
कण्व ऋषि का आश्रम ,कंसुआ, कोटा

अति-प्राचीन शिवलिंग -- चौकोर द्रोणिका

प्राचीन-चतुर्मुखी शिवलिंग
वे विष्णु (उत्तर), सूर्य (पूर्व), रुद्र (दक्षिण), और ब्रह्मा (पश्चिम) का प्रतिनिधित्व करते हैं।

 शिवपुरी धाम थेकड़ा--- ५२५ शिव लिंगों का मंदिर -जिनके मध्य में चतुर्मुखी शिव विराजमान हैं| एक ही पत्थर( काले ग्रेनाईट )
पारद का शिवलिंग एवं नंदी

ग्रेनाईट का १४ टन भार का शिवलिंग

५२५ शिवलिंगों के मध्य चतुर्मुखी शिवलिंग
से बना १४ टन वजनी व १५ फीट ऊंचा प्रदेश का सबसे बड़ा शिव लिंग भी यहीं स्थित है पारद का शिव लिंग भी यहाँ स्थित है |


दाड देवी -- खुले हुए मुख से दंतपंक्ति दिखाती हुई देवी की मूर्ति यहाँ स्थित है |
लंगूरों की फौज व स्थानीय भक्त

दाड देवी

खिड़की पर कब्जा जमाये हुए हनुमान जी
 

दाड देवी मंदिर -श्रीकांत, सुषमाजी व गीता जी 





खड़े गणेश जी ---
हिन्दू मंदिर का सामाजिक सरोकार -गुटखा खाने वालों के लिए महा-बम्पर पुरस्कार योजना

खड़े गणेश जी के मंदिर में



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