....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
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ग़ज़ल--सुबह सुबह ..
कल फिर से तेरी याद आई सुबह सुबह |
ताजा हवा कोई चली आई सुबह सुबह |
वो बातें मुलाकातें वो कहना सुनाना,
साँसों ने तेरी नज़्म सुनाई सुबह सुबह |
वेवक्त वक्त आके सताना औ छेड़ना,
उस गुजरे वक्त की धुंध सी छाई सुबह सुबह |
वो वादों इरादों का जहाँ, इश्क की दुनिया
नस नस में तेरी महक समाई सुबह सुबह |
सच में नहीं , ना ख़्वाब में , ख्यालों में ही सही,
तू रूबरू थी, दिल में तू आई सुबह सुबह |
भूले न भूलकर भी श्याम' वो आरजू तेरी,
आँखों में नमी बनके उतर आई सुबह सुबह ||
कल फिर से तेरी याद आई सुबह सुबह |
ताजा हवा कोई चली आई सुबह सुबह |
वो बातें मुलाकातें वो कहना सुनाना,
साँसों ने तेरी नज़्म सुनाई सुबह सुबह |
वेवक्त वक्त आके सताना औ छेड़ना,
उस गुजरे वक्त की धुंध सी छाई सुबह सुबह |
वो वादों इरादों का जहाँ, इश्क की दुनिया
नस नस में तेरी महक समाई सुबह सुबह |
सच में नहीं , ना ख़्वाब में , ख्यालों में ही सही,
तू रूबरू थी, दिल में तू आई सुबह सुबह |
भूले न भूलकर भी श्याम' वो आरजू तेरी,
आँखों में नमी बनके उतर आई सुबह सुबह ||
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