....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
मेरे पांच पांच अगीत ----
१.
अमर
====
"मरणोपरांत जीव,
यद्यपि मुक्त होजाता है ,
संसार से , पर--
कैद रहता है वह मन में ,
आत्मीयों के याद रूपी बंधन में ,
और होजाता है,
अमर | "
मेरे पांच पांच अगीत ----
१.
अमर
====
"मरणोपरांत जीव,
यद्यपि मुक्त होजाता है ,
संसार से , पर--
कैद रहता है वह मन में ,
आत्मीयों के याद रूपी बंधन में ,
और होजाता है,
अमर | "
२.
बंधन-मुक्ति
======
वह बंधन में थी,
धर्म संस्कृति सुसंस्कारों का
चोला ओढ़कर,
अब वह मुक्त है, स्वतंत्र है
लाज व शर्मो-हया के वस्त्रों का
चोला छोड़कर |
३.
कालपात्र
=====
किसलिए काल
रचता है रचनाएँ
सम-सामयिक, तात्कालिक,
व सामयिक इतिहास के
सरोकारों को निबद्ध करता है ,
तथ्यों को बद्ध करता है |
एक कालपात्र होता है
साहित्य
तभी वह होता है कालजयी |
४.
अनास्था
======
अपना दोष
ईश्वर के सिर
इंसान क्यों है इतना तंग नज़र !
क्या केवल कुछ पाने की इच्छा से थी, भक्ति-
नहीं थी आस्था, बस आसक्ति |
जो कष्टों के एक झटके से ही
टूट जाए ,
वह अनास्था
आस्था कब कहलाये |
५.
अर्थ
=====
अर्थ स्वयं में एक अनर्थ है |
मन में भय चिंता भ्रम की
उत्पत्ति में समर्थ है |
इसकी प्राप्ति, रक्षण व उपयोग में भी
करना पड़ता है कठोर श्रम,
आज है, कल होगा या नहीं या होगा नष्ट
इसका नहीं है कोइ निश्चित क्रम|
अर्थ मानव के पतन में समर्थ है,
फिर भी जीवन के -
सभी अर्थों का अर्थ है |
\\
बंधन-मुक्ति
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वह बंधन में थी,
धर्म संस्कृति सुसंस्कारों का
चोला ओढ़कर,
अब वह मुक्त है, स्वतंत्र है
लाज व शर्मो-हया के वस्त्रों का
चोला छोड़कर |
३.
कालपात्र
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किसलिए काल
रचता है रचनाएँ
सम-सामयिक, तात्कालिक,
व सामयिक इतिहास के
सरोकारों को निबद्ध करता है ,
तथ्यों को बद्ध करता है |
एक कालपात्र होता है
साहित्य
तभी वह होता है कालजयी |
४.
अनास्था
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अपना दोष
ईश्वर के सिर
इंसान क्यों है इतना तंग नज़र !
क्या केवल कुछ पाने की इच्छा से थी, भक्ति-
नहीं थी आस्था, बस आसक्ति |
जो कष्टों के एक झटके से ही
टूट जाए ,
वह अनास्था
आस्था कब कहलाये |
५.
अर्थ
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अर्थ स्वयं में एक अनर्थ है |
मन में भय चिंता भ्रम की
उत्पत्ति में समर्थ है |
इसकी प्राप्ति, रक्षण व उपयोग में भी
करना पड़ता है कठोर श्रम,
आज है, कल होगा या नहीं या होगा नष्ट
इसका नहीं है कोइ निश्चित क्रम|
अर्थ मानव के पतन में समर्थ है,
फिर भी जीवन के -
सभी अर्थों का अर्थ है |
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