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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

सोमवार, 15 जनवरी 2018

गाजीपुर--गाधिपुर -गाधि ऋषि की पुरी--- डा श्याम गुप्त

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गाजीपुर--गाधिपुर -गाधि ऋषि की पुरी---
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यह वास्तव में पौराणिक गाधिपुरी है | ब्रह्मर्षि विश्वामित्र व भगवान परशुराम दोनों की लीलास्थली, बिगड़ते हुए मुस्लिम काल में गाजीपुर होगया |
--------राजा कुश (पौराणिक, राम के पुत्र नहीं, शायद जिनके नाम पर आज के अफ्रीका का नाम कुशद्वीप पडा ) के पुत्र राजा कुशनाभ के पुत्र महर्षि गाधि के पुत्र थे ब्रह्मर्षि विश्वामित्र जिनका नाम कौशिक था, इनका किला भी यहाँ अवस्थित है | नज़दीक ही बक्सर में उनकी तपस्थली है जो पहले गाधिपुरम जनपद में थी अब बिहार में है |
------ महाराजा गाधि की पुत्री सत्यवती (पत्नी र्रिचीक भृगु-- पौराणिक---महाभारत की नहीं ) के पुत्र ऋषि जमदग्नि के पुत्र थे महर्षि परशुराम | भगवान परशुराम गंगा जी के पावन तट पर गाजीपुर जनपद के जमदग्नियां ( ऋषि जमदग्नि की पुरी, आज का –जमांनिया, जो विश्व प्रसिद्द हिन्दी उपन्यास चन्द्रकान्ता के एक मुख्य पात्र शिवदत्त का प्रसिद्द नगर है ) नामक स्थान पर पैदा हुए थे। यह उनकी जन्मभूमि के साथ कर्म भूमि भी रही | यहाँ से लगभग 90 किमी0 की दूरी पर सहस्राव (आज का सासाराम-बिहार ) सहस्रार्जुन की छावनी था|
--------- इस जनपद की पावन भूमि पर महर्षि गौतम, यमदग्नि, परसुराम व विश्वामित्र के आश्रम थे, निकट ही बलिया में भ्रगु का आश्रम भी था | इसी भूमि पर एक मदन वन नामक स्थान भी है जहां शायद मेनका प्रसंग व रम्भा श्राप की घटना हुई |
--------परशुराम तन्त्र से एक श्लोक है --
फिरंगा यवनाश्चीनाः खुरासानाश्य म्लेच्छजाः।
राम भक्तं प्रद्रष्टैव त्रस्यन्ति प्रणमन्ति च।।
---अर्थात-- भगवान परशुराम ने भारतवर्ष से बाहर यूरोप, चीन, खुरासान आदि अनेक देश के शासकों को परास्त किया था। वहां के निवासियों पर उनका इतना दर व प्रभाव था कि वे लोग भगवान परशुराम के अनुयायी होने की जानकारी होते ही त्रस्त होकर उन्हें प्रणाम करने लगते थे।
----------आज यहाँ समस्त पाप तारिणी माँ गंगा के तट पर स्थित एशिया की सबसे बड़ी अफीम फेक्ट्री की जमीन पर खड़े होकर में उस दिव्य युग के क्षेत्र गाधिपुर की इस भूमि को श्रृद्धा नमन करता हूँ |


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