....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
डा श्याम गुप्त की सद्य प्रकाशित, ई बुक ,,,काव्य-काँकरियाँ ...(.गीति व अगीत....तुकांत व अतुकांत लघुकाओं का संग्रह )
----- वर्जिन साहित्यपीठ द्वारा प्रकाशित ------
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डा श्याम गुप्त की सद्य प्रकाशित, ई बुक ,,,काव्य-काँकरियाँ ...(.गीति व अगीत....तुकांत व अतुकांत लघुकाओं का संग्रह )
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काव्य-काँकरियाँ: काव्य संग्रह
वर्जिन साहित्यपीठ
कंकड़ फैंकना एक सहज मानवी प्रवृत्ति है। कभी यूंही खेल खेल में
अपनों पर या दूसरों पर। बचपन में पोखर-तालावों में, मेंढ़कों, पक्षियों, कुत्ते-बिल्लियों पर, पेड़ों पर फलों को
तोड़ने हेतु ढेले फैंकना किसे नहीं
सुहाया। बालिकाओं के आदि-खेल ‘कंकड़’ गुटके और बालकों के रंग-बिरंगे
कंचों का खेल कौन नहीं जानता।
Literature & Fiction
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25 March
2018---by Dr Shyam Gupt
2008
by
Harivanshrai Bachchan
15 March
2018---by सिल्वा बैरोस, विलियम
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February 2018----by सिंह, जगमोहन
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