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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

शुक्रवार, 29 जून 2018

गम्भीर बीमारियों से बचाती है धूप..----चिकित्सकों की राय---डा श्याम गुप्त

                        ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...



गम्भीर बीमारियों से बचाती है धूप..----चिकित्सकों की राय---
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(मानव अपने लिए गड्ढे ढूंढ ही लेता है )
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                               आज से ५०-६० वर्ष पहले भी धूप के महत्त्व को चिकित्सक लोग काफी रेखांकित किया करते थे | विटामिन डी के लिए, हड्डियों की मज़बूती के लिए धूप की अत्यावश्यकता पर खूब बातें होती थीं |
------- कारण था मूलतः भारतीय महिलाओं के घूंघट में, बंद घरों, कमरों में जो कि परम्परा व संस्कार रूप में जाने जाते थे तथा गरीबी व अधिकाँश आबादी के छोटे छोटे कम प्रकाश वाले घरों में रहने के कारण | अतः टीबी, रक्तअल्पता, गठिया, हड्डियों आदि की गंभीर बीमारियाँ भारतीय महिलाओं –पुरुषों में खूब होती थीं |
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विभिन्न प्रयत्नों से देश समाज उन्नत हुआ, महिलायें प्रगतिशील हुईं, घर से बाहर आने जाने लगीं, नौकरी आदि भी खूब करने लगीं, आर्थिक प्रगति हुई और लोग भी बड़े बड़े घरों में रहने लगे | टीबी, एनीमिया आदि रोग कम होने लगे |
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परन्तु आज भी चिकित्सकों की वही राय - गम्भीर बीमारियों से बचाती है धूप..---क्यों |
------कहते हैं मानव अपने सुख-अभिलाषा व विलासप्रियता में अपने लिए गड्ढे ढूंढ ही लेता है |
--------आज भी चिकित्सकों को यही राय देनी पड़ रही है क्योंकि उसने विकास के साथ बड़े बड़े भवन, ऊंची ऊंची इमारतें के साथ प्रशीतनकक्ष , एयरकंडीशंड कमरे, घर, आफिस, वाहन, दुकानें, बाजार, मौल बना लिए...अधिकाधिक कमाने के लिए दिन रात कार्य में लगे रहने हेतु स्वयं को दफ्तरों, कारखानों में कैद कर लिया और धूप व खुले आकाश में प्रकाश उसके लिए फिर एक प्रश्न चिन्ह बन गये |

अर्थात वैचारिक अर्थ में हम वहीं के वहीं हैं |
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