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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

मंगलवार, 23 जुलाई 2019

god grant redemption एक और बकवास आलेख--डा श्याम गुप्त

                     ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

-- एक और बकवास आलेख---
---चित्र में दिए गए आलेख में हिन्दू धर्म के लिए बड़ी बड़ी बातें कही गयी हैं, परामर्श दिए गए हैं
------ | परन्तु शायद लेखक ने स्वयं अच्छी तरह से रामायण या राम चरित मानस या अन्य हिन्दू ग्रन्थ तथा हिन्दू देवताओं के क्रिया-कलाप अच्छी तरह से नहीं पढ़े व जाने हैं |
-----------The
god who grant redemption even to enemies ------------------always grant the same after their death.
------बिना दंड के कोइ भी अपराधी नहीं छूटना चाहिए , यही उचित धर्म है , कोइ भी ईश्वर, देव या गोड उचित सजा दिए बिना किसी को redemption नहीं करता
-----आजकल एक फेशन होगया है कि हिन्दू धर्म के विरुद्ब कुछ बात हो तो ये सभी तथाकथित अंग्रेज़ी कालम वाले, मीडिया वाले, अंग्रेज़ी लेखक दौड़े चले आते हैं किसी अन्य धर्म के लोग कुछ भी अत्याचार करते रहें तो अपने खोल में चले जाते हैं ---

 

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