....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
काव्य निर्झरिणी की रचनाएँ--१०. व ११.----
क्रमश ----
काव्य निर्झरिणी की रचनाएँ--१०. व ११.----
१०.आँसू
हैं या पानी है ----
दुःख
में झरते सुख में झरते
नयनों
के कष्टों में झरते ,
मन
की वाणी मुखरित करते
झरना
एक रवानी है |
कोइ
कहता आंसूं हैं ये,
कोइ
खारा पानी है ||
प्रियतम
की वाहों में झरते,
प्रियतम
की यादों में झरते ,
भूल
गए वादों में झरते,
सावन
में भादों में झरते ,
एकाकी
रातों में झरते,
मन
की मौन कहानी है |
कोइ
कहता आँसू हैं ये,
कोइ
कहता पानी हैं ||
आता
है जब सावन कोइ,
गाता
है मन भावन कोइ |
विदा
हुई जब प्यारी बेटी,
प्रिय
को गले लगाकर झरते |
मन
की कसक सुहानी है ,
मगन ह्रदय की वाणी है |
कोइ
कहता आंसूं हैं ये,
कोइ
बहता पानी है ||
आंसूं
है या खारा जल है ,
निर्मल
मन का निर्मल बल है |
कुटिल
बुद्धि का भी छल बल है ,
घडियाली
आँसू जिस पल है |
मन
की कुटिल कहानी है ,
एक
अनूठी वाणी है |
कोइ
कहता आंसूं हैं ये,
कोइ
कहता पानी है ||
दुःख
में झरते सुख में झरते,
अपनों
के कष्टों में झरते |
मन
वीणा को मुखरित करते
प्रतिपल
नयी कहानी है |
कोइ
कहता आंसूं हैं ये,
कोइ
बहता पानी है ||
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११. झर झर जीवन ---
क्रमश ----
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