विविध पंथों मतों द्वारा पाखण्ड विवाद, वेदों की चोरी, ज्ञान का लोप व अज्ञान का प्रसार -डॉ श्याम गुप्त
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कल एक #ब्रह्माकुमारी वाले सज्जन परिवार घर आये और बड़ी देर तक प्रेरित करते रहे कि शिव बाबा आपको सतयुग में ले जायेंगे, त्रिदेव को चलाने वाले शिव बाबा हैं | ब्रह्माकुमारी संस्थान से जुड़ जाएँ, ७ दिन का ध्यान का कोर्स करलें, गीता श्रीकृष्ण ने नहीं शिव बाबा ने लिखी है, तमाम बातें गीता में गलत लिखी हैं| शास्त्रों में ३३ करोड देवताओं की बात कपोल कल्पित है आदि आदि | कुछ उठने बैठने की सामान्य अच्छी अच्छी बातें जो सभी कहते हैं भी कहते रहे |
मैं सोचने लगा–तुलसी बाबा ने अपनी रामायण में लिखा है ....
हरित भूमि तृण संकुल समुझ परहि नहिं पंथ,
जिमी पाखण्ड विवाद ते, लुप्त होयँ सदग्रंथ |
---अर्थात जब उपजाऊ भूमि पर तमाम तृणसमूह, घास,फूस, पात, पत्तियां उग आती हैं तो रास्ते की पगडंडियाँ भी दिखाई नहीं देतीं जैसे विभिन्न पाखंडो से भरे शास्त्र विरुद्ध समूहों के समाज में उत्पन्न होने से सदग्रंथ---वेद आदि ज्ञान, बुद्धि, विद्या क्रियाएं लुप्त होजाती हैं | यही आज हो रहा है |
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आज कितने पंथ, समूह, वर्ग धार्मिक क्रियाओं के नाम पर उत्पन्न होगये हैं जो शास्त्रों के विरुद्ध प्रचार में लिप्त हैं | घर घर में योगा, सहज योग, अपोनोपोनो, ध्यान, स्वामी, कथावाचक, ईश्वरीय विश्व विद्यालय, इस्कोन, आशाराम बापू, श्री श्री आदि पाखण्ड उत्पन्न होगये हैं जो सनातन धर्म एकांगी तत्त्व के प्रचार अथवा दुष्प्रचार में लिप्त हैं| असंतुष्ट व अतृप्त लोगों को कुछ अच्छी अच्छी बातें व सब्ज बाग़ दिखाकर भटकाते हैं | पुराकाल में जैन व बौद्ध धर्मों ने भी पाखण्ड किया था |
ब्रह्माकुमारी संगठन तो बाकायदा शास्त्रों व गीता का विरोध करता है और बाबा शिव को ईश्वर से ऊपर बताता है | यह सफ़ेद कपड़ों वाला पंथ शायद ईसाइयत का एक नया रूप है सनातन के विरुद्ध नया षड्यंत्र | ये सब सामान्य जन को कुछ अच्छी अच्छी संवेदनापूर्ण बातें एवं व्यक्तिगत परामर्श व सहायता से भ्रमित करते हैं और जन समूह एवं जिनको अपने धर्म व सनातन हिन्दू धर्म के बारे में अधिक ज्ञान नहीं होता उन्हें को कुछ समझ नहीं आता, वे ईश्वर, ज्ञान, विद्या को भूलकर बाबाओं के गुण गान में लग जाते हैं |
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सनातन वैदिक धर्म, वेद, पुराणो शास्त्रों ( अर्थात ज्ञान, विद्या, बुद्धि, तर्क सम्मत व्यवहार ) के विरुद्ध सदा से ही, हर युग में विभिन्न विरोधी पंथ सम्प्रदाय,मत, मज़हब उत्पन्न होते आये हैं जिनके विवाद व पाखण्ड के कारण जनता भ्रमित होती है एवं ज्ञान, विद्या व शिक्षाएं, धर्म आदि कालानुसार लुप्त होजाते हैं, पृथ्वी पर पाप और अधर्म का राज्य होजाता है और फिर –‘यदा यदा हि धर्मस्य...’ के अनुसार उनकी पुनर्स्थापना की जाती है |
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#सतयुग में वेदों को चुराने की घटनाएँ हैं | सतयुग में हयग्रीव नामक असुर द्वारा वेदों को चुराकर सागर में छुपादिया( अर्थात ज्ञान का लोप किया गया ) और मत्स्य रूप में विष्णु भगवान ने उसे मारकर वेदों को पुनः देवताओं को सौंपा, अर्थात समाज में ज्ञान की प्रतिष्ठा की गयी |
जब पणिसमूह द्वारा महर्षि वशिष्ठ की गायें ( ज्ञान, बुद्ध, विद्या, वेद) चुराकर अंधेरी गुफाओं( अज्ञान रूपी अंधकार ) में छुपा दीं तब इंद्र की सहायता से गायों को ढूंढा गया | ज्ञान की प्रतिष्ठापना की गयी|
राजा #रामचंद्र के काल में जब जाबालि ऋषि का शिष्य शम्बूक वेदो के विरुद्ध व नास्तिकता का प्रचार करता था तो अज्ञान फ़ैलाने के कारण राजा राम ने उसे समूल उच्छेद कर दिया था | महाभारत में भी #चार्वाकों को इसी कारण युधिष्ठिर द्वारा दण्डित किया गया था|
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आज भी यही स्थिति है | ये जगह जगह पर उगे हुए जाने कितने पंथ, मज़हब, वर्ग, बाबा लोग समाज को कहाँ लेजारहे हैं, सभी जानते हैं | आज जो अनाचार, दुराचार, विकृतियाँ पनप रहीं हैं उनका कारण यही शास्त्र विरोधी कृत्य हैं|
------- मुस्लिम और ईसाइयत जैसे हिन्दू विरोधी धर्मों के कृत्य इसीलिये वृद्धि पर हैं कि सनातन धर्म को ये पाखण्ड खोखला कर रहे हैं| इन्ही परिस्थितियों के लिए गोस्वामी जी ने लिखा था ---
हरित भूमि तृण संकुल समुझ परहि नहिं पंथ,
जिमी पाखण्ड विवाद ते, लुप्त होयँ सदग्रंथ |
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