राह में दो पल साथ तुम्हारे,बीते उनको ढूंढ रहा हूं।
पल में सारा जीवन जीकर,फ़िर वो जीवन ढूंढ रहा हूं।
उन दो पल के साथ ने मेरा,सारा जीवन बदल दिया था।
नाम पता कुछ पास नहींपर,हर पल तुमको ढूंढ रहा हूं।
तेरी चपल सुहानी बातें, मेरे मन की रीति बन गईं ।
तेरे सुमधुर स्वर की सरगम,जीवन का सन्गीत बन गई।
तुम दो पल जो साथ चल लिये,जीवन की इस कठिन डगर में।
मूक साक्षी बनीं जो राहें, उन राहों को ढूंढ रहा हूं।
पल दो पल में जाने कितनीं जीवन जग की बात होगईं
हम तो चुप चुप ही बैठे थे, बात बात में बात होगईं।
हम तो चुप चुप ही बैठे थे, बात बात में बात होगईं।
कैसे पहचानूंगा तुमको,मुलाकात यदि कभी होगई ।
तिरछी चितवन और तेरा मुस्काता आनन ढूंढ रहा हूं।
मेरे गीतों को सुनकर, तेरा वो वंदन ढूंढ रहा हूं ।
चलते चलते तेरा वो प्यारा अभिनन्दन ढूंढ रहा हूं।
3 टिप्पणियां:
वाह बहुत बढ़िया! इस लाजवाब और बेहतरीन रचना के लिए ढेर सारी बधाइयाँ!
एक अच्छा blog है जो व्यक्तिके विचारों को उन्नतिकी ओर प्रेरित करता है.
धन्यवाद, बबली एवम प्रज़ातन्त्र ।
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