....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
कर्म
यदि आप चाहते हैं कि---
मृत्यु के उपरांत
शीघ्र ही संसार आपको भूल न जाय----
तो
पढने योग्य श्रेष्ठ रचनाओं की सृष्टि करें ...
या
वर्णन-योग्य श्रेष्ठ कर्म करें...
5 टिप्पणियां:
सहमत।
sahee hai.
धन्यवाद --पान्डे जी व विशाल जी...
--श्रेष्ठ कर्मों व श्रेष्ठ साहित्य-रचना से ही अमरता या अम्रितत्व प्रप्त होता है...
achha sandesh.........
धन्यवाद देवेन्द्र....यही जिन्दगी का मूल मन्त्र है...
--मन ..ब्रेन की फ़िजियो-रासायनिक-परम भाविक क्रियाओं की उच्च परिणति है....विदाउट ब्रेन कैसे होगी...
एक टिप्पणी भेजें