....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
.भगवान श्री कृष्ण की लीलाए जग प्रसिद्द हैं , वास्तव में वे लीलायें गहन अर्थावत्तात्मक भाव लिए हुए है जिनकी सामाजिक-वैज्ञानिक महत्ता है , एक सामाजिक सन्देश है...जो आज भी सामयिक, समीचीन व संदर्भीय है.... | यहाँ प्रस्तुत हैं उनकी कुछ प्रमुख लीलाओं के वास्तविक अर्थों का चित्रण ................कुण्डली छंद में.... प्रस्तुत है श्याम लीला ...एक..
१- गोधन चोरी.......
.भगवान श्री कृष्ण की लीलाए जग प्रसिद्द हैं , वास्तव में वे लीलायें गहन अर्थावत्तात्मक भाव लिए हुए है जिनकी सामाजिक-वैज्ञानिक महत्ता है , एक सामाजिक सन्देश है...जो आज भी सामयिक, समीचीन व संदर्भीय है.... | यहाँ प्रस्तुत हैं उनकी कुछ प्रमुख लीलाओं के वास्तविक अर्थों का चित्रण ................कुण्डली छंद में.... प्रस्तुत है श्याम लीला ...एक..
१- गोधन चोरी.......
माखन की चोरी करें, नित प्रति नन्द किशोर ,
कुछ खाते, कुछ फैंकते, मटकी देते फोड़ |
मटकी देते फोड़, सखाओं को घर घर ले जाते ,
चुपके मटकी तोड़, सभी गोधन फैलाते |
देते यह सन्देश, श्याम' समझें बृजवासी,
स्वयं बनें बलवान , दीन हों मथुरा वासी ||
गोकुल बासी क्यों गए, अर्थशास्त्र में भूल ,
माखन-दुग्ध नगर चला,गाँव में उड़ती धूल|
गाँव में उड़ती धूल, गोप, बछड़े सब भूखे ,
नगर होंय संपन्न , खांय हम रूखे-सूखे |
गगरी देंगे तोड़ , श्याम' सुनलें ब्रजवासी,
यदि मथुरा लेजायें गोधन, गोकुलवासी || ----क्रमश: लीला -२.....रास लीला .....
10 टिप्पणियां:
आज के सन्दर्भ में बिलकुल सटीक,सुन्दर शैली ,उत्तम भाषा ..आभार
बहुत सुन्दर.माखन चोरी और गगरी फोड़ने के अनेक गहन अर्थ हों सकते हैं.भक्त यानि गोपियाँ जो तत्व-चिंतन रुपी माखन काढ़ते हैं उसे भगवान अपने सखाओं के साथ चोरी करके भी खाना पसंद करतें हैं और गगरिया फोड़ने से तात्पर्य उनकी संकुचिता या अहंकार को नष्ट करना भी हों सकता है.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
इस बार अभी तक भी आप नहीं आयें हैं मेरे ब्लॉग पर.आपका इंतजार है.
धन्यवाद अम्रता जी ....
--सही कहा राकेश जी..आभार..
----सामाजिक-व्यवहार भाव, ग्यान भाव व तात्विक-विवेचनात्मक व्याख्या भाव द्वारा कहा जा सकता है इन सभी प्रसन्गों को.....हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता....
श्याम जी,आपको हार्दिक धन्यवाद कि आपने मुझे सही सलाह दी है.मैं कोशिश करुँगी सरल भाषा में लिखूं ..पर गंभीर बातों को कहने के लिए इन शब्दों का उपयोग करना पड़ता है.फिर भी मैं कोशिश करुँगी.बहुत अच्छा लगा कि आपने इस योग्य समझा .आपको पढ़ना भी सुखद है.धन्यवाद
कान्हा का प्यारा गोकुल।
बहुत सही विषय चुना है आपने....हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता....
हार्दिक धन्यवाद!
धन्यवाद अम्रता जी--अन्यथा न लेने के लिये...मेरे विचार में गूढ विषय-भावों के सम्प्रेषण के लिये ही तो सरल शब्दावली चाहिये...
--धन्यवाद पान्डे जी
---धन्यवाद डा वर्षा जी---आपकी सरल, सहज़ शब्दावली के साथ गहन अर्थपरक पर रचनायें प्रशन्सनीय हैं...बधाई...
राकेश जी--आपके ब्लोग पर राम कथा की तात्विक व्याख्या पढना/ गुनना/ मनन करना सदैव सुखद त्रिविध-शान्तिदायक होता है...
धन्यवाद..अम्रता जी व पान्डे जी..
धन्यवाद वर्षा जी---
राकेश जी --आपकी राम कथा के तत्वार्थ तो सदा ही त्रिविध शान्तिदायक हैं...
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