....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
श्याम स्मृति.....खाली पेट नहीं रहा होगा ....
मैं यह नहीं कहूँगा कि हमारे पुरखों ने वायुयान बना लिए थे, वे भी ऊपर के लोकों को जा चुके थे, आज के नवीन अश्त्र-शस्त्र भी उनके समय में थे | परन्तु पुष्पक विमान से उड़ने की कल्पना कर सकने वाला समाज निश्चय ही खाली पेट नहीं रहा होगा ...रोटी, कपड़ा और मकान की समस्या हल कर चुका होगा |
श्याम स्मृति.....खाली पेट नहीं रहा होगा ....
मैं यह नहीं कहूँगा कि हमारे पुरखों ने वायुयान बना लिए थे, वे भी ऊपर के लोकों को जा चुके थे, आज के नवीन अश्त्र-शस्त्र भी उनके समय में थे | परन्तु पुष्पक विमान से उड़ने की कल्पना कर सकने वाला समाज निश्चय ही खाली पेट नहीं रहा होगा ...रोटी, कपड़ा और मकान की समस्या हल कर चुका होगा |
1 टिप्पणी:
पूर्णतया सहमत।
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