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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

बुधवार, 30 जनवरी 2013

श्रीलंका यात्रावृत्त -भाग सात--पिन्नावाला एलीफेंट नर्सरी.....






                                     ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...




बोल्डर रेंज रिसोर्ट

दम्बूला फारेस्ट बोल्डर रेंज रिजोर्ट में रूम के बाहर आम के बाग़में निर्विकार व रीना 


बोल्डर रेंज रिजोर्ट में आराम
दम्बूला गहन वन में रिजोर्ट

महावेली गंगा

                        बोल्डर रेंज फरेस्ट रिजोर्ट में २६-१२-१२ को रात्रि विश्राम के पश्चात्  प्रातः २७-१२-१२ को हमारा कारवां अपनी  अंतिम मंजिल बेन्टोटा के लिए चल दिया  |  पोलोनारूवा के नज़दीक कुछ किलोमीटर दूर से  श्रीलंका की सबसे बड़ी नदी एवं द्वीप की लाइफ-लाइन महावेली गंगा गुजरती है जो केंडी के समीप हाटन पठार के पहाडी-वनों से निकलकर  मुख्य सह-नदी अब्बन गंगा से मिलकर विशाल जल-भाग विक्टोरिया रिज़र्वोयर  एवं रंदेविशाला रिज़र्वोयर बनाती हुई वासागामुवा नॅशनल पार्क  व पोलोनारूवा के समीप  से गुजरती  हुई ३३५ कि मी चलकर त्रिंकोमाली के समीप कोदियार बे  में बंगाल की खाडी - हिंदमहासागर में  गिरती है| वास्तव में यहाँ सभी बड़ी नदियों को गंगा कहा जता है यथा..कालू-गंगा, अब्बन गंगा, बेन्टोटा  गंगा आदि.... रास्ते में पिन्नावाला में हाथियों का विश्व-प्रसिद्द नर्सरी का भी भ्रमण  किया गया|
               पिन्नावाला एलीफेंट ओर्फनेज --- हाथियों की  नर्सरी व रिज़र्व है जो विश्व में सबसे बड़ा  हाथियों का रिज़र्व है जिसे श्रीलंका के जंगलों में असहाय घूमते हुए जंगली हाथियों के पालन-पोषण के लिए स्थापित किया गया था| यह केंडी व कोलम्बो के मध्य स्थित है | यह अपने मुख्य आकर्षण हाथियों के  महा ओया नदी में नहाने और खेलने के दृश्यों के लिए टूरिस्ट्स में काफी प्रसिद्द है| यहाँ लगभग ८८ हाथी हैं---३७ नर व ५१ मादा हैं जो लगभग तीन पीढ़ियों से पिन्नावाला में हैं|  नदी के रास्ते में बाज़ार में आप विभिन्न प्रकार के मेग्नेट-स्टीकर , चमड़े व वस्त्रों के सामान आदि खरीद अकते हैं|
पिन्नावाला बाज़ार में निर्विकार व आराध्य
हाथियों का स्नान देखते हुए रीना जी, आराध्य व सुषमा जी
महा ओया नदी की राह पर
महाओया नदी में हाथियों का स्नान
                      















                   
रास्ते में खेतों का विहंगम दृश्य

रास्ते में कालू रिवर  में हाथी नहाते हुए


                  












धारगा गाँव में दरगाह
एक्सप्रेस वे
               पिन्नावाला से केगले, अविस्सावाला होते हुए होमागामा से  बिलकुल एडवांस योरोपीय देशों की भाँति बना हुआ  शानदार 'साउथ एक्सप्रेस  वे ' --जिसमें हर पग डंडी, गाँव, शहर  के नज़दीक सड़क पार करने के लिए उपरिगामी पुल बना हुआ है ताकि किसी को भी हाइवे पर कभी न  आना पड़े एवं तीब्र गामी वाहनों को बाधा न  हो -- पर होते हुए अलुथगामा पर हाइवे से अलुथागामा रोड , व मुस्लिम बहुल धारगा गाँव ( दरगाह गाँव -- यहाँ प्रसिद्द मुस्लिम दरगाह है ) होते हुए २७-१२-१२  शाम को बेन्टोटा नदी के समुद्र में मिलने  के स्थान -डेल्टा पर बसे  बेन्टोटा नगर में हिन्द महासागर के तट स्थित  इन्दुर्वा  र्बीच रिजोर्ट पहुंचे |
इन्दुर्वा बीच रिजोर्ट
आराध्य बालकनी से समुद्र देखते हुए
 

3 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

सर्वप्रथम आपका शुक्रिया .... आपके ब्लॉग को पढ़ती हूँ हमेशा , कभी ग़ज़ल,कभी जानकारी,कभी ठोस तथ्य - आभार

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कालू नदी और सायं का सौन्दर्य..

डा श्याम गुप्त ने कहा…

धन्यवाद रश्मि जी एवं पांडे जी....