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इन्दुर्वा बीच रिजोर्ट एव बीच -हिन्द महासागर श्री लंका |
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इन्दुर्वा बीच |
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दुग्ध-धवल फेनिल सागर जल |
२९-१२-१२ को प्रातः नाश्ते के उपरांत होटल
में ही
स्विमिंग पूल एवं श्री लंका के दक्षिणी -पश्चिमी तट पर हिन्द-महासागर स्थित
इन्दुर्वा बीच जो रिजोर्ट की अपनी ही बीच है ,पर समुद्री तट पर घूमने, समुद्र स्नान , चट्टानों से
टकराकर उछलते समुद्र की लहरों का आनंद लिया क्योंकि दोपहर को कोलम्बो के
लिए निकलना था जहां से चेन्नई के लिए फ्लाईट थी एवं चेन्नई से रात्रि में
बेंगलोर के लिए ट्रेन |
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आराध्य निर्विकार व रीना सागर-लहरों में
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लहरों की भंवर में |
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बालू में रीना व सुषमा जी |
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धवल लहरों में मस्ती--आराध्य, रीना व निर्विकार |
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निर्विकार एवं सागर की एक उत्ताल तरंग |
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सागर तट -चट्टान पर |
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मछली पकड़ते नाविक |
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आराध्य, रीना व निर्विकार के साथ मस्ती के मूड में |
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सुषमा जी की गोद में आराध्य और दोस्ती का हाथ |
|दोपहर में हम लोग बापस
कोलम्बो के लिए चल दिए रास्ते में
कोस्गोडा टर्टल - हेचरी व नर्सरी में एक
दिन से ५५ वर्ष व ८४ वर्ष तक उम्र के व विभिन्न प्रजातियों के टर्टल (
सागरीय कच्छप ) का अवलोकन किया | यहाँ समुद्र से टर्टल के अंडे रात के समय
में बीच की रेती सहित उठालिये जाते हैं एवं २-३ दिन का होने पर पुनः सागर
में छोड़ दिए जाते हैं| समुद्री कच्छप -टर्टल - सामान्य टोरटोइज़---कछुओं --से भिन्न कच्छप की वह प्रजाति होती है जिसके कछुओं की भाँति पैर न होकर मछली के फिन्स ( परों) की भाँति चार फ्लेट पैर होते हैं एवं वे कछुओं की भाँति सुरक्षा हेतु अपने खोल ( कवच) में नहीं घुस सकते |
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आरू सिपिंग द नारियल-पानी |
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अल्बीनो -श्वेत -टर्टल |
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२ दिन के टर्टल-बच्चे और आराध्य |
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बड़े टर्टल |
२९-१२-१२ शाम को
कोलम्बो के
भंडारनायके एयर -पोर्ट पर पहुँच कर एक सप्ताह तक साथ रहने वाले सौम्य व
सज्जन व्यक्तित्व वाले श्री लंकन ड्राइवर व गाइड का किरदार निभाने वाले
श्री हरेंदु
मेंडिस से बिदा ली |
मेरी पुस्तक शूर्पणखा काव्य-उपन्यास की प्रति भेंट में
पाकर उन्होंने हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त की | ३०-१२-१२ को प्रातः हम लोग
बापस बेंगलोर आगये |
2 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर यात्रा वृत्तांत..
धन्यवाद ---
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