....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
वो कहते हैं कि ईश्वर कहीं नहीं है |
मैं कहता हूँ खोजने में कमी कहीं है |
उनका कहना है, वह बस कल्पना ही है ,
है हर कहीं , जग उसकी अल्पना ही है |
उसने कहा किसी ने पाया भला कभी,
मैंने कहा, है, तू ढूंढ पाया नहीं है |
जग की गज़ब कारीगरी क्यों देखता नहीं ,
जिसकी है बाजीगरी, बस वह वही है |
सदियों से ज्ञानी, विज्ञजन,तत्वज्ञ, साधु-संत,
क्यों खोज में लगे हैं, उसकी जो नहीं है |
तत्वों के अंतर में, तारों के पार भी,
जो खोजते साइंसदां, क्या वही नहीं है |
मन में यदि बसाए, परमार्थ प्रीति -भाषा,
स्वारथ को भूलकर, तू देख तू वही है |
तू ढूँढता फिरे है, जाने कहाँ कहाँ ,
बस ढूंढ श्याम दिल में,वह यहीं है यहीं है ||
मैं कहता हूँ खोजने में कमी कहीं है |
उनका कहना है, वह बस कल्पना ही है ,
है हर कहीं , जग उसकी अल्पना ही है |
उसने कहा किसी ने पाया भला कभी,
मैंने कहा, है, तू ढूंढ पाया नहीं है |
जग की गज़ब कारीगरी क्यों देखता नहीं ,
जिसकी है बाजीगरी, बस वह वही है |
सदियों से ज्ञानी, विज्ञजन,तत्वज्ञ, साधु-संत,
क्यों खोज में लगे हैं, उसकी जो नहीं है |
तत्वों के अंतर में, तारों के पार भी,
जो खोजते साइंसदां, क्या वही नहीं है |
मन में यदि बसाए, परमार्थ प्रीति -भाषा,
स्वारथ को भूलकर, तू देख तू वही है |
तू ढूँढता फिरे है, जाने कहाँ कहाँ ,
बस ढूंढ श्याम दिल में,वह यहीं है यहीं है ||
2 टिप्पणियां:
जिन्हें बाजीगरी नहीं दिखायी पड़ती है, वे बाजी हार चुके हैं।
क्या सटीक कहा ...धन्यवाद पांडे जी ...
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