....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
हम्पी से लगभग १५० किमी दूर बागलकोट जिले में स्थित चालुक्य साम्राज्य की प्राचीन राजधानी बादामी ( प्राचीन वातापी... अगस्त्य मुनि का स्थल-....अगस्त्य द्वारा वातापी असुर का वध स्थल ), पत्तदकल ( प्राचीन-पट्टशिलापुर... जहां शिव ने अंधकासुर का वध किया था ) एवं ऐहोल (अहि-होले, आर्यवोले या आर्यपुरा .... जहां भगवान परशुराम ने २१ बार क्षत्रियों का विनाश करके अपना फरसा धोया था) जैसे प्राचीनतम स्थल हैं| मानव-सभ्यता की सबसे प्राचीन कालोनी–व्यवस्था ‘अग्रहारम’ भी यहाँ पाई गयी है, जिसमें एक स्थान के दोनों ओर पंक्तियों में निवास स्थान होते हैं एवं एक सिरे पर एक देवस्थान |
शायद यह हमारे पाषाणयुगीय वंशज का वह स्थल है जहाँ जहां मानव ने प्रथम बार पृथ्वी पर कदम रखा ......मानव का अपने वंशज ..वानर-कपि से--> वानर-नर से--> नर-वानर --> से नर ( मानव) ...का क्रमिक उद्भव हुआ......जो ऐहोले ( आर्यहोल, आर्यपुरा) में सभ्य मानव...आर्य... उपाधि प्राप्त करके समस्त विश्व में फैला |
हम्पी बादामी जोगफाल्स होन्नेमराडू यात्रा वृत्त ..
पूर्व-वृत्त......
( हम भारतीय पृथ्वी पर प्राचीनतम मानव-सभ्यता की
संतान हैं, हमें अपनी सभ्यता, संस्कृति एवं इतिहास पर गर्व होना चाहिए | ब्रिटिश
राज्य के युग में हम हीनता की ग्रंथि के शिकार होगये जिसने हमारी प्रगति एवं नवीन
तथ्यों की खोज व ज्ञान प्राप्ति की इच्छा पर अंकुश लगा दिया था| अब हमारे युवा एवं
शिक्षित महिला –पुरुष जो स्वतंत्र भारत में पले व बढे हैं उन्हें सही तथ्यों को
खोजकर, जानकर व उजागर करके स्वयं को एवं देश को गौरवान्वित करना चाहिए....
"बहुत खोचुके, अब तो समझें कि ज़िंदा
कौम हैं हम,
जिसे देश की मिट्टी पे मिटने की
बुरी आदत है |
दुनिया फिर चलेगी तेरे नक़्शे-कदम पे
श्याम,
नव-सृजन के गीत तुझे गढ़ने की बुरी
आदत है | ".....डा श्याम गुप्त.... )
भारत में किसी भी स्थान के वर्णन हेतु
प्रायः उसके प्राक-एतिहासिक, पौराणिक, एतिहासिक एवं आधुनिक महत्त्व की दृष्टि का
आधार लेना पड़ता है | विश्व के प्राचीनतम पठार, भारतीय दक्षिण-पठार पर स्थित हम्पी ...जिसके आज सिर्फ अवशेष
ही बचे हैं ....प्राचीन भारत में तत्कालीन विश्व के सबसे शक्तिशाली एवं समृद्धतम
साम्राज्य ‘विजय नगर’ जो रोम से भी अधिक समृद्ध था, जहां की गलियों
में हीरे-जबाहरात की बिक्री खुले आम हुआ करती थी, की राजधानी है | यह भारत के कर्नाटक
राज्य ( प्राचीन कुंतल देश ) के उत्तरी भाग बेल्लारी जिले में
तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है |
यहाँ तुन्गभद्रा नदी के उत्तर में
स्थित विजय नगर साम्राज्य की प्राचीन राजधानी अनेगुंडी ग्राम पृथ्वी
पर स्थित प्राचीनतम स्थल है जिसे ४००० मिलियन वर्ष प्राचीन माना गया है | अतः यहाँ
के ग्रामवासियों के अनुसार यह क्षेत्र ...भूदेवी, अर्थात पृथ्वी माता का
मातृ-स्थल है | यह विश्व के उन विरले स्थलों में है जहां पूर्व, मध्य व
नव-पाषाण युग (Micro, Mega and Neolithic age ) तीनों युगों के गुफा-मानव-निवास
स्थल पाए जाते हैं| यहाँ स्थित हनुमानजी का जन्मस्थल अंजनेय पर्वत के समीप पाषाणकालीन
गुफा-मानव के गुफा-निवास स्थल, गुहा-चित्र, शिला उत्कीर्णन व शिला-चित्र एवं मृतक
समाधि-स्थल पाए गए हैं| यह स्थल उतना ही प्राचीन है जितना स्वयं पृथ्वी ग्रह |
वस्तुतः यह रामायण में
वर्णित पम्पाक्षेत्र है | जहां ब्रह्माजी की पुत्री पम्पा (
तुंगभद्रा नदी का प्राचीन नाम पम्पा नदी है) का विवाह शिव से हुआ था एवं विवाह
पूर्व कामदेव का दहन भी यहीं स्थित मन्मथ सरोवर के समीप हुआ था| हम्पी,
पम्पा का ही बिगड़ा हुआ रूप है| अनेगुंडी रामायण प्रसिद्द वानरराज
बाली की राजधानी किष्किन्धा है जहां सीताहरण पश्चात हेमकूट पर्वत श्रेणी
व ऋष्यमूक पर्वत के समीप राम-हनुमान-सुग्रीव
मिलन हुआ था | शबरी के गुरु ऋषि मातंग का प्रसिद्द मातंग पर्वत
गंधमादन पर्वत व माल्यवंत पर्वत
भी यहीं हैं जहाँ राम-लक्ष्मण ने वर्षा का काल व्यतीत किया था | ये सभी पर्वत, काल-क्षरित
व घर्षित नग्न-शिलाओं ( बोल्डर्स ) वाले पर्वत हैं जो अति-प्राचीनता की कथा कहते
प्रतीत होते हैं|
'पत्थर हैं पत्थर-दिल नहीं इतिहास से भरपूर हैं,
आइये सुनिए तो जीवन-गीत से पुरनूर हैं | '
हम्पी के समीप ही दोरजी-भालू संरक्षण स्थल ( बीअर सैंक्चुअरी---Daroj bear sanctuary )
है जो संभवतः ऋक्षराज जाम्बवंत का क्षेत्र रहा होगा | जब राम की सेना ने हम्पी से लंका के लिए
प्रस्थान किया तो उनकी ऋक्षराज जाम्बवंत से भेंट हुई जो राम की सेना में साथ होगये |
हम्पी के समीप ही दोरजी-भालू संरक्षण स्थल ( बीअर सैंक्चुअरी---Daroj bear sanctuary )
है जो संभवतः ऋक्षराज जाम्बवंत का क्षेत्र रहा होगा | जब राम की सेना ने हम्पी से लंका के लिए
प्रस्थान किया तो उनकी ऋक्षराज जाम्बवंत से भेंट हुई जो राम की सेना में साथ होगये |
महाभारत युग में यहाँ के वानर नरेश
मयंद व द्विद को युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ हेतु सहदेव ने युद्ध में परास्त किया था
|
हम्पी से लगभग १५० किमी दूर बागलकोट जिले में स्थित चालुक्य साम्राज्य की प्राचीन राजधानी बादामी ( प्राचीन वातापी... अगस्त्य मुनि का स्थल-....अगस्त्य द्वारा वातापी असुर का वध स्थल ), पत्तदकल ( प्राचीन-पट्टशिलापुर... जहां शिव ने अंधकासुर का वध किया था ) एवं ऐहोल (अहि-होले, आर्यवोले या आर्यपुरा .... जहां भगवान परशुराम ने २१ बार क्षत्रियों का विनाश करके अपना फरसा धोया था) जैसे प्राचीनतम स्थल हैं| मानव-सभ्यता की सबसे प्राचीन कालोनी–व्यवस्था ‘अग्रहारम’ भी यहाँ पाई गयी है, जिसमें एक स्थान के दोनों ओर पंक्तियों में निवास स्थान होते हैं एवं एक सिरे पर एक देवस्थान |
शायद यह हमारे पाषाणयुगीय वंशज का वह स्थल है जहाँ जहां मानव ने प्रथम बार पृथ्वी पर कदम रखा ......मानव का अपने वंशज ..वानर-कपि से--> वानर-नर से--> नर-वानर --> से नर ( मानव) ...का क्रमिक उद्भव हुआ......जो ऐहोले ( आर्यहोल, आर्यपुरा) में सभ्य मानव...आर्य... उपाधि प्राप्त करके समस्त विश्व में फैला |
जोग फाल्स ----कर्नाटक के शिमोगा जिला में भारत में दूसरे सबसे ऊंचाई से गिरने वाले
झरने हैं इसे गैरूसोप्पा झरने भी कहा जाता है यह सर्वोच्च लगातार बहने वाला झरना
है जो सीधा-सीधा नीचे गिरता है बिना किसी चट्टान से छूते हुए एवं होन्नेमराडू
श्रावती नदी के बैक-वाटर्स में एक पर्यटन केंद्र है |
यह यात्रा वृत्त निम्न भागों में वर्णन किया जायगा.....
१.अनेगुंडी –पम्पासर
क्षेत्र
२. हम्पी
३. बादामी
४. पत्तदकल
५. ऐहोल
६. जोगफाल्स व
होन्नेमराडू
---क्रमशः यात्रा-वृत्तांत
भाग एक...अनेगुंडी ( पम्पा-क्षेत्र )...अगले अंक में....
1 टिप्पणी:
हम्पी में वानर रहते थे
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