ब्लॉग आर्काइव

डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

मेरी फ़ोटो
Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

शनिवार, 1 जुलाई 2023

मेरी नवीन ऑनलाइन प्रकाशित पुस्तक----डॉ. श्याम गुप्त की लघुकथाएं ------डॉ.श्याम गुप्त


....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...


मेरी नवीन ऑनलाइन प्रकाशित पुस्तक----डॉ. श्याम गुप्त की लघुकथाएं --
=========================================
कृति---डॉ. श्यामगुप्त की लघुकथाएं---ऑनलाइन---
सर्वाधिकार -लेखकाधीन
प्रथम संस्करण-जून २०२३... ऑनलाइन...
मूल्य----१०० रु.
रचयिता-: डॉ श्यामगुप्त
सुश्यानिदी,के-३४८,आशियाना,लखनऊ २२६०१२.
मो.९४१५१५६४६४, drgupta04@gmail.com
मुखपृष्ठ -डॉ श्यामगुप्त
प्रकाशक – सुषमा प्रकाशन, आशियाना, लखनऊ २२६०१२
Book--Dr shyam gupt ki Laghu Kathayen
(short-stories by Dr Shyam Gupt )
Writer—Dr Shyam Gupta
Sushyanidi, K-348, Aashiyana, Lucknow, U.P.-INDIA -226012
Mo-941515646, email-drgupta04@gmail.com
Publisher- Sushma prakaashan, Lucknow
===
डॉ. श्यामगुप्त की लघुकथाएं
----अनुक्रमणिका ----
समर्पण --
आभार --
लघु कहानी का कथ्य ---डा श्यामगुप्त
कथाक्रम-१ से ५८ तक----
१.आठवीं रचना ...-------
२..अफसर ...-----------
३.ढलती शाम और डूबता सूरज ....---
४.एक मुलाक़ात बस यूंही ...-----
५.कार्य विभाजन ----------
६.चींटियाँ ...------
७.अपन तुपन -----
८.मी टू प्लस -----
९.मनोरंजन ...----------
१०.इलेक्शन और गांधीजी
११.गट्टू पहलवान ..------
१२.बदलते उसूल ----------
१३.मोड़ जीवन के ...---------
१४.माँ ...-----------------
१५.मंत्री जी शहर में...-------
१६.बेस्ट फ्रेंड...------------
१७.बचपन...------------- -
१८.पुरुषार्थ...----------------
१९.पाल ले इक रोग नादाँ ...-----
२०.रिमार्क...--------------- -
२१.सीट...----------------
२२.भव चक्र....--------------
२३.रथ चढ सिया सहित ...--------
२४.शुक्र का पारगमन ...---------
२५.गुड डॉक्टर या पोपुलर डॉक्टर ----------
२६.आत्मकथा ....------------------
२७.कहानी की कहानी ....-------------
२८.विवाह
२९.छोटी सी गोली ....-----------------
३०.दो का पहाड़ा...
३१.आम
३२.समस्या व लोकपाल...-----------------
३३.लोफर...--------------------------
३४.विकृति की जड़ ...------------------
३५.जो सहि दुःख परछिद्र दुरावा ------------
३६.न चाहते हुए भी...------------------
३७.विकास या पतन..-------------------
३८.हूँ तो उनकी निगाह में -------------
३९.सुख-दुःख ...------------------
४०.समय नियोजन....---------------
४१.लघुकथा -----------------------
४२.मैनूं पिचाना जी ------
४३. नारी और नारी सम्मान ---
४४.दादा --
४५.मेम साहब --
४६.श्राद्ध ---
४७.गुणात्मक सोच----
४८.टाइल्स ---
४९.हैरी पोटर ---
५०.कठिन डगर ---
५१.डाकिया ...
५२.कोरोना काल--
५३.सुव्यवस्था----
५४.नौकरी----
५५.मुक्तिपथ---
५६.मानवता का प्रथम महासमन्वय --
५७.सही राह पर ----
५८.विश्वास और मित्रता ....
====
आभार
उन सभी का जिनके समय समय पर प्राप्त विचार व भावोद्गार इन कथाओं में भावित हुए...
एवं
जो इन कथाओं के जाने-अनजाने पात्र रूप में प्रतिष्ठित हुए...
====
समर्पण
पूज्य पिताजी स्व.श्री जगन्नाथ प्रसाद गुप्ता
एवं
पूज्य माताजी स्व.श्रीमती रामभेजी देवी गुप्ता को
माँ की ममता की छाया जब,
सदा हमारे संग रहती है |
प्रथम गुरु की शिक्षाएं बन,
संस्कार मन रच बस जाते |
जीवन का हर तमस मिटाने,
कितने ज्ञानदीप जल उठते ||
पिता की छत्र-छाया वो ,
हमारे सिर पै होती है |
उंगली पकड़ हाथ में चलना ,
खेलना-खाना, सुनी कहानी |
बचपन के सपनों की गलियाँ ,
कितने जीवन मिल जाते हैं
=====
All reactions:
Deepika Gupta, Ramesh Chandra Bhatt and 19 others
9
1
Like
Comment
Share

कोई टिप्पणी नहीं: