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सदा नीरा माँ गंगा भारतवर्ष की जीवन दायिनी, जन-जीवन है अतः माँ रूप में सर्वत्र पूजी व जानी गयी । यद्यपि आज हमारे अपने ही कृतित्वों से वह क्षीणकाय व प्रदूषित होती जारही है परन्तु फिर भी जन जन की आस्था कम नहीं हुई है । अच्छा होगा यदि हम आस्था के साथ साथ गंगा को प्रदूषण रहित करने में भी योगदान दें । कहीं एसा न हो सरस्वती की भांति सिर्फ आस्था ही रह जाय गंगा विलुप्त होजाय ।
तुलसी दास जी ने -कवितावली’ में गंगा को विष्णुपदी, त्रिपथगामिनी और पापनाशिनी आदि कहा गया है-
जिनको पुनीत वारि धारे सिर पे मुरारि।
त्रिपथगामिनी जसु वेद कहैं गाइ कै।।
गन्गा जी के दर्शन के लिए देवांगनाएँ झगड़ती हैं, देवराज इन्द्र विमान सजाते हैं, ब्रह्मा पूजन की सामग्री जुटाते हैं क्योंकि गंगा दर्शन से समस्त पाप नष्ट होजाते हैं और उसका विष्णु लोक में जाना निश्चित हो जाता है-
देवनदी कहँ जो जन जान किए मनसा कहुँ कोटि उधारे।
देखि चले झगरैं सुरनारि, सुरेस बनाइ विमान सवाँरे।
पूजा को साजु विरंचि रचैं तुलसी जे महातम जानि तिहारे।
ओक की लोक परी हरिलोक विलोकत गंग!तरंग तिहारे।।(कवितावली-उत्तरकाण्ड 145)
---वास्तव मे सर्वव्यापी परमब्रह्म परमात्मा जो ब्रह्मा, शिव और मुनिजनों का स्वामी है, जो संसार की उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय का कारण है, वही गंगा रूप में जल रूप हो गया है-
ब्रह्म जो व्यापक वेद कहैं, गमनाहिं गिरा गुन-ग्यान-गुनी को।
जो करता, भरता, हरता, सुर साहेबु, साहेबु दीन दुखी को।
सोइ भयो द्रव रूप सही, जो है नाथ विरंचि महेस मुनी को।
मानि प्रतीति सदा तुलसी, जगु काहे न सेवत देव धुनी को।।
(कवितावली-उत्तरकाण्ड 146)
और -----
जै जै विष्णु-पदी गंगे।
पतित उघारनि सब जग तारनि नव उज्ज्वल अंगे।
शिव शिर मालति माल सरिस वर तरल तर तरंगे।
‘हरीचन्द’ जन उधरनि पाप-भोग-भंगे।
----गन्गा दशहरा पर गन्गा स्नान करने से दशों प्रकार के कायिक मानसिक व वाचिक पाप नष्ट होते हैं । इसीलिये इसे गंगा दशहरा कहाजाता है।
१- कायिक पाप(३)-- बिना पूछे किसी की वस्तु लेना , शास्त्र वर्जित हिंसा, पर स्त्री गमन
२-वाचिक पाप(४)--कटु बचन बोलना, झूठ बोलना,परनिंदा वअसत्य परदोषारोपण एवं निष्प्रयोजन बातें
३-मनसा पाप (३)--दूसरों पर अन्याय करने का विचार, अनिष्ट चिंतन, नास्तिक बुद्धि ।
3 टिप्पणियां:
हर गंगे हर हर गंगे.
...सुंदर पोस्ट.
कहीं एसा न हो सरस्वती की भांति सिर्फ आस्था ही रह जाय गंगा विलुप्त हो जाय ।
Agar abhi savdhan na hue to shayad yahi ho.sarthak post.
अच्छी जानकारी...हर-हर गंगे माँ.
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