....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
कह सकते हैं दीप व्यर्थ ही,
कह सकते हैं दीप व्यर्थ ही,
रात रात भर जलता रहता |
तम को कौन मिटा पाया है,
निष्फल यत्न सदा वह करता||
वह चहुँ ओर करे उजियारा ,
अपने नीचे झाँक न पाता |
चारों ओर उजाला फैले,
तम, दीपक तल प्रश्रय पाता ||
अंधकार को देख मनुज को,
हो न निराशा , थके न जीवन |
जब तक नव-प्रभात रवि लाये |
दीपक जलता, रुके न जीवन ||
तम से ज्योति-भाव हित चलना,
कर्म - व्यवस्था है जीवन की |
यही व्यवस्था, ज्योति व तम की ||
तम का अर्थ, मृत्यु या निद्रा,
भोर व जीवन है उजियारा |
इसीलिये तो उजियारे से ,
सदा हारता है अंधियारा ||
तिल-तिल करके जलता दीपक ,
अंधकार से लडता जाता |
पैरों तले दबा कर तम को,
जीवन की राहें दिखलाता ||
Let the lamps ignite..
Let the lamps ignite..
Let the lamps light ,
Life comes to be bright .
Let the candles of hope,
Happiness & harmony ignite.
Think of me my dear,
When you light a light.
Think of me my dear,
When you pray in the night.
The darkness of your heart,
The loneliness of the dark.
In the wilderness of thoughts,
Let the hope spark.
Here comes the dawn of hope,
To do away this night.
Let the lamps light,
Life comes to be bright.
1 टिप्पणी:
सबके मन की ज्योति जले।
एक टिप्पणी भेजें