....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
पीला पीला गैंदा लहके,
तालों में सरसिज मुस्काये ,
फ़ूल हैं कितने प्यारे प्यारे,
रंग बिरंगे न्यारे न्यारे |
श्वेत रंग खुशबू अलबेली पीला पीला गैंदा लहके,
गुलदाऊदी विविध रंगीले |
गुड़हल सुर्ख हुआ सा दहके,
डहेलिया फूले भड़कीले ||तालों में सरसिज मुस्काये ,
छटा सुहानी सबको भाये |
टेसू अमलतास पेड़ों पर ,
लाल पलाश खिले हरषाए ||
झूमे मौलश्री की डाली,
गुलमुहर की छटा निराली |
महकाए गुलाब हर कोना ,
हर सिंगार का बिछा बिछौना ||
खिल खिल महके रात की रानी,
इठलाये मालती सुजानी |
खड़े पेन्जी नीले-पीले,
सदाबहार के पुष्प सजीले ||
फूलों से तुम सीखो हंसना,
हिल मिल रहना,खिल खिल खिलना |
प्रकृति माँ के राज दुलारे,
फूल हैं कितने प्यारे प्यारे ||
7 टिप्पणियां:
बच्चे हमारे समाज के पुष्प हैं।
फूलों से तुम सीखो हंसना,
हिल मिल रहना,खिल खिल खिलना |
सन्देश देती हुई रचना आभार .....
bahut hi khil khilata hua sa geet ...
फूलों से तुम सीखो हँसना हिल मिल रेहना खिल-खिल खिलना प्रकृति माँ के राज दुलारे फूल हैं कितने प्यारे-प्यारे.... बहुत सुंदर फूलों के रंगों और खासियत से सजा फूलों की महक से महकता बाल गीत बहुत सुंदर प्रस्तुति शुभकामनायें
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
Gyan Darpan
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प्यारा गीत!
dhanyavaad ...........
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