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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

सोमवार, 14 नवंबर 2011

बाल दिवस पर .....बाल-गीत ..फ़ूल हैं कितने प्यारे प्यारे... डा श्याम गुप्त....

                              ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

फ़ूल हैं कितने प्यारे प्यारे,
रंग बिरंगे न्यारे न्यारे |                  
चम्पा बेला जुही चमेली,
श्वेत रंग खुशबू अलबेली

पीला पीला गैंदा लहके,
गुलदाऊदी विविध रंगीले |
गुड़हल सुर्ख हुआ सा दहके,
डहेलिया फूले भड़कीले ||

तालों में सरसिज मुस्काये ,
छटा सुहानी सबको भाये |
टेसू अमलतास पेड़ों पर ,
लाल पलाश खिले हरषाए ||

झूमे मौलश्री की डाली,
गुलमुहर की छटा निराली |
महकाए गुलाब हर कोना ,
हर सिंगार का बिछा बिछौना ||

खिल खिल महके रात की रानी,
इठलाये मालती सुजानी |
खड़े पेन्जी नीले-पीले,
सदाबहार के पुष्प सजीले ||

फूलों से तुम सीखो हंसना,
हिल मिल रहना,खिल खिल खिलना |
प्रकृति माँ के राज दुलारे,
फूल हैं कितने प्यारे प्यारे ||

7 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बच्चे हमारे समाज के पुष्प हैं।

Sunil Kumar ने कहा…

फूलों से तुम सीखो हंसना,
हिल मिल रहना,खिल खिल खिलना |
सन्देश देती हुई रचना आभार .....

शारदा अरोरा ने कहा…

bahut hi khil khilata hua sa geet ...

Pallavi saxena ने कहा…

फूलों से तुम सीखो हँसना हिल मिल रेहना खिल-खिल खिलना प्रकृति माँ के राज दुलारे फूल हैं कितने प्यारे-प्यारे.... बहुत सुंदर फूलों के रंगों और खासियत से सजा फूलों की महक से महकता बाल गीत बहुत सुंदर प्रस्तुति शुभकामनायें

Gyan Darpan ने कहा…

बहुत बढ़िया प्रस्तुति

Gyan Darpan
.

Udan Tashtari ने कहा…

प्यारा गीत!

shyam gupta ने कहा…

dhanyavaad ...........