....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...
वह यहीं है ...ग़ज़ल...
वो कहते हैं कि ईश्वर कहीं नहीं है |
मैं कहता हूँ खोजने में कमी कहीं है |
वो कहते हैं कि ईश्वर कहीं नहीं है |
मैं कहता हूँ खोजने में कमी कहीं है |
उनका कहना है, वह बस कल्पना ही है,
है हर कहीं, जग उसकी अल्पना ही है |
उसने कहा किसी ने पाया भला कभी,
मैंने कहा, है, तू ढूंढ पाया नहीं है |
जग की गज़ब कारीगरी क्यों देखता नहीं,
जिसकी है बाजीगरी, बस वह वही है |
सदियों से ज्ञानी, विज्ञजन, तत्वज्ञ, साधु-संत,
क्यों खोज में लगे हैं, उसकी, जो नहीं है |
तत्वों के अंतर में, तारों के पार भी,
जो खोजते साइंसदां, क्या वही नहीं है |
मन में यदि बसाए, परमार्थ प्रीति -भाषा,
स्वारथ को भूलकर, तू देख, तू वही है |
तू ढूँढता फिरे है, जाने कहाँ कहाँ,
बस ढूंढ श्याम' दिल में,वह यहीं है यहीं है ||
पद---
मैं तो खोजि खोजि कें हारो |
ब्रह्म हू जान्यो, पुरानन खोजो, गीता बचन उचारो |
ज्ञान वार्ता, धरम-करम औ भक्ति-प्रीति मन धारो |
कथा रमायन, वेद-उपनिषद् ढूँढो अग-जग सारो |
पोथी पढ़ि पढ़ि भजन -कीरतन रत अति भयो सुखारो |
किधों रहै कित उठै औ बैठे कौन सो ठांव तिहारो |
कबहुं न काहू कतहु न पायो प्रभु का रूप संवारो |
थकि हारो अति आरत , राधे राधे नाम पुकारो |
कुञ्ज-कुटीर में लुकौ राधिका पाँव पलोटतु प्यारो |
सो लीला छवि निरखि श्याम' तन मन अति भयो सुखारो ||
है हर कहीं, जग उसकी अल्पना ही है |
उसने कहा किसी ने पाया भला कभी,
मैंने कहा, है, तू ढूंढ पाया नहीं है |
जग की गज़ब कारीगरी क्यों देखता नहीं,
जिसकी है बाजीगरी, बस वह वही है |
सदियों से ज्ञानी, विज्ञजन, तत्वज्ञ, साधु-संत,
क्यों खोज में लगे हैं, उसकी, जो नहीं है |
तत्वों के अंतर में, तारों के पार भी,
जो खोजते साइंसदां, क्या वही नहीं है |
मन में यदि बसाए, परमार्थ प्रीति -भाषा,
स्वारथ को भूलकर, तू देख, तू वही है |
तू ढूँढता फिरे है, जाने कहाँ कहाँ,
बस ढूंढ श्याम' दिल में,वह यहीं है यहीं है ||
पद---
मैं तो खोजि खोजि कें हारो |
ब्रह्म हू जान्यो, पुरानन खोजो, गीता बचन उचारो |
ज्ञान वार्ता, धरम-करम औ भक्ति-प्रीति मन धारो |
कथा रमायन, वेद-उपनिषद् ढूँढो अग-जग सारो |
पोथी पढ़ि पढ़ि भजन -कीरतन रत अति भयो सुखारो |
किधों रहै कित उठै औ बैठे कौन सो ठांव तिहारो |
कबहुं न काहू कतहु न पायो प्रभु का रूप संवारो |
थकि हारो अति आरत , राधे राधे नाम पुकारो |
कुञ्ज-कुटीर में लुकौ राधिका पाँव पलोटतु प्यारो |
सो लीला छवि निरखि श्याम' तन मन अति भयो सुखारो ||
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