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डा श्याम गुप्त का ब्लोग...

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Lucknow, UP, India
एक चिकित्सक, शल्य-चिकित्सक जो हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान व उसकी संस्कृति-सभ्यता के पुनुरुत्थान व समुत्थान को समर्पित है व हिन्दी एवम हिन्दी साहित्य की शुद्धता, सरलता, जन-सम्प्रेषणीयता के साथ कविता को जन-जन के निकट व जन को कविता के निकट लाने को ध्येयबद्ध है क्योंकि साहित्य ही व्यक्ति, समाज, देश राष्ट्र को तथा मानवता को सही राह दिखाने में समर्थ है, आज विश्व के समस्त द्वन्द्वों का मूल कारण मनुष्य का साहित्य से दूर होजाना ही है.... मेरी तेरह पुस्तकें प्रकाशित हैं... काव्य-दूत,काव्य-मुक्तामृत,;काव्य-निर्झरिणी, सृष्टि ( on creation of earth, life and god),प्रेम-महाकाव्य ,on various forms of love as whole. शूर्पणखा काव्य उपन्यास, इन्द्रधनुष उपन्यास एवं अगीत साहित्य दर्पण (-अगीत विधा का छंद-विधान ), ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा काव्य संग्रह), कुछ शायरी की बात होजाए ( ग़ज़ल, नज़्म, कतए , रुबाई, शेर का संग्रह), अगीत त्रयी ( अगीत विधा के तीन महारथी ), तुम तुम और तुम ( श्रृगार व प्रेम गीत संग्रह ), ईशोपनिषद का काव्यभावानुवाद .. my blogs-- 1.the world of my thoughts श्याम स्मृति... 2.drsbg.wordpres.com, 3.साहित्य श्याम 4.विजानाति-विजानाति-विज्ञान ५ हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान ६ अगीतायन ७ छिद्रान्वेषी ---फेसबुक -डाश्याम गुप्त

रविवार, 31 मई 2020

काव्य निर्झरिणी की रचनाएँ-----रचना ९...कंथा...डा श्याम गुप्त....

                          ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...


काव्य निर्झरिणी की रचनाएँ-----रचना ९...

9.कंथा
मेरी कंथा को उधेड कर
श्रम को व्यर्थ गँवाओगे |
दुःख का ही सामुख्य है जहाँ,
अरे वहां क्या पाओगे |

मेरी जीवन गाथा में हैं ,
व्यर्थ कथायें  लिखी  हुईं |
कुछ की ही स्मृति बाकी है ,
और सभी हैं मिटी हुई |

कलम नहीं चलती है मेरी,
लिख लिख कर रुक जाता हूँ |
अपने कृत्यों की स्मृति से ,
खुद ही अरे लजाता हूँ |

स्मृति की जलधि लहरियां ,
टकरा  टकरा कर तट से |
जलमयी अरे होजातीं ,
जल के अन्दर ही झट से |


जीवन झंझा के निशीथ में,
प्रथम किरण सी यूं आकर |
ऊषा की लाली भर लायी ;
 जो मेरे ह्रदय में छाकर  |

जब मन के मोदक फूट चले,
वह चले किनारों के राही |
सब बिछुड़ गए संगी साथी,
जब बिछुड़ गए जीवन राही |

तन मन में पीर उमड़ आयी,
तब ह्रदय में इक शूल उठा,
वेदना श्वांश में लहराई
बिखरा मन सब कुछ भूल उठा |

यह एक कहानी है मेरी,
या ह्रदय विकलता की चेरी |
व्याकुलता भी आहें भरती ,
होगई विषमता की चेरी |

ओ मेरे जीवन के राही
मंजिल पर देना दीप जला |
पहिचान सकूं मंजिल अपनी,

यदि पहुँच जाऊं भूला भटका ||

क्रमश --

 

शनिवार, 30 मई 2020

काव्य निर्झरिणी की रचनाएँ ----रचना आठ---- चाह नहीं है अब जीने की –डा श्याम गुप्त

....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...


काव्य निर्झरिणी की रचनाएँ ----रचना आठ---- चाह नहीं है अब जीने की –

८. चाह नहीं है अब जीने की –

चाह नहीं है अब जीने की, मौत कहाँ से पायें |
मेरे मन के दर्द बतादे क्या गायें कहाँ जाएँ ||

ए मेरे हमदर्द बतादे ,
साज है क्या तेरी राहों का |
अथवा सुनले मुझ से आकर,
राज है क्या मेरी आहों का |

दुनिया के दुःख से घायल हम, अपना दुःख कैसे कह पायें |
चाह नहीं है अब जीने की, मौत कहाँ से पायें ||

यह तो अपने लिए असंभव,
स्वप्न देखते रहें तुम्हारे |
पर चाहत है तुम आजाओ,
जब जब ये दिल तुम्हें पुकारे |

किस्मत ही है ऐसे अपनी ,साथ तुम्हारा कैसे पायें |
चाह नहीं है अब जीने की, मौत कहाँ से पायें ||

प्रिय समाज की आज दुर्दशा ,
ने दिल को झकझोर दिया है |
तुम भी पास नहो मेरे ,
जैसे बाती बिना दिया है |

दुःख से घायल पीड़ित मन को बिना तुम्हारे क्या समझाएं |
 चाह नहीं है अब जीने की, मौत कहाँ से पायें ||



क्रमश ---

 

काव्यनिर्झरिणी की रचनाएँ----रचना ७-सोना है ----डा श्याम गुप्त

....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ.

काव्यनिर्झरिणी  की रचनाएँ----रचना ७-सोना है ----








 

शुक्रवार, 29 मई 2020

काव्यनिर्झरिणी की रचनाएँ----रचना ६--देखो---डा श्याम गुप्त

                              ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...


मेरा द्वितीय काव्य संग्रह 'काव्यनिर्झरिणी' 1960 से 2005 तक रचित तुकांत काव्य-रचनाओं का संग्रह है |---सुषमा प्रकाशन , आशियाना द्वारा प्रकाशित , प्रकाशन वर्ष -२००५ ..
—नराकास , राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय, उप्र से "राजभाषा सम्मान व पुरस्कार -२००५," प्राप्त---रचना ६..देखो--





क्रमश--रचना सात



 

गुरुवार, 28 मई 2020

काव्यनिर्झरिणी' की रचनाएँ ---रचना पांच ----निज भाषा उन्नति ....डा श्याम गुप्त

                           ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ... 

मेरा द्वितीय काव्य संग्रह 'काव्यनिर्झरिणी' 1960 से 2005 तक रचित तुकांत काव्य-रचनाओं का संग्रह है |---सुषमा प्रकाशन , आशियाना द्वारा प्रकाशित , प्रकाशन वर्ष -२००५ ..
—नराकास , राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय, उप्र से "राजभाषा सम्मान व पुरस्कार -२००५," प्राप्त---रचना ५..





क्रमश रचना ६---
 

'काव्यनिर्झरिणी' की रचनाएँ---४. वही सब कुछ ----डा श्यान=म गुप्त

                                       ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...


मेरा द्वितीय काव्य संग्रह 'काव्यनिर्झरिणी' 1960 से 2005 तक रचित तुकांत काव्य-रचनाओं का संग्रह है |---सुषमा प्रकाशन , आशियाना द्वारा प्रकाशित , प्रकाशन वर्ष -२००५ ..
—नराकास , राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय, उप्र से "राजभाषा सम्मान व पुरस्कार -२००५," प्राप्त---रचना ४..





 

क्रमश रचना ५---

बुधवार, 27 मई 2020

काव्य निर्झरिणी की रचनाएँ ---रचना तीन ----भारत पर्व ---डा श्याम गुप्त

                          ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...


काव्य निर्झरिणी की रचनाएँ ---रचना तीन ----भारत पर्व ---

मेरा द्वितीय काव्य संग्रह 'काव्यनिर्झरिणी' 1960 से 2005 तक रचित तुकांत काव्य-रचनाओं का संग्रह है |---सुषमा प्रकाशन , आशियाना द्वारा प्रकाशित , प्रकाशन वर्ष -२००५ ..
—नराकास , राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय, उप्र से "राजभाषा सम्मान व पुरस्कार -२००५," प्राप्त













क्रमश रचना चार -----







 

काव्यनिर्झरिणीकी रचनाएँ ----रचना दो ---सत्यं शिवम् सुन्दरम---डा श्याम गुप्त

                ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ.

काव्यनिर्झरिणीकी रचनाएँ ----रचना दो ---सत्यं शिवम् सुन्दरम

मेरा द्वितीय काव्य संग्रह 'काव्यनिर्झरिणी' 1960 से 2005 तक रचित तुकांत काव्य-रचनाओं का संग्रह है |---सुषमा प्रकाशन , आशियाना द्वारा प्रकाशित , प्रकाशन वर्ष -२००५ ..
—नराकास , राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय, उप्र से "राजभाषा सम्मान व पुरस्कार -२००५," प्राप्त






2..सत्यं शिवम् सुन्दरम

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जो है सत्य वही तो शिव है ,
यदि वह शिव है तो वह प्रिय है |
वह सुन्दर है वही नित्य है,
यदि वह शिव है और सत्य है |

 बिना सत्य के शिवं कहाँ है ,

बिना शिवम् माधुर्य कहाँ है |
चाहे शिव भी हो सुन्दर भी ,
बिना सत्य सौन्दर्य कहाँ है |

सत्य सदा ही शिव होता है,
शिव ही सबको प्रिय होता है |
जो कल्याण करे जन मन का ,
वह ही तो सुन्दर होता है |

सत्य न हो जो कर्म निरंतर ,
तथ्यहीन हो जिसका अंतर |
चाहे वह शिव हो या सुन्दर,
होगा वह सर्वथा असुंदर |

यदि कविता में सत्य नहीं है,
और कथ्य यदि तथ्य नहीं है |
उसमें सत का तत्व नहीं है ,
तो वह कविता कथ्य नहीं है |

यदि कविता में सत्य रहेगा,
उसमें शिव का तत्व रहेगा |
कहलायेगी सुन्दर अनुपम,
होगी सत्यं शिवम् सुन्दरम ||

क्रमश रचना तीन---


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सोमवार, 25 मई 2020

काव्यनिर्झरिणी की रचनाएँ ----रचना एक ---वन्दना --डा श्याम गुप्त

                          ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ... 


मेरा द्वितीय काव्य संग्रह 'काव्यनिर्झरिणी' तुकांत काव्य-रचनाओं का संग्रह है |---सुषमा प्रकाशन , आशियाना द्वारा प्रकाशित , प्रकाशन वर्ष -२००५
—नराकास, (नगर राजभाषा क्रियान्वन समिति, लखनऊ ) राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय, उप्र से "राजभाषा सम्मान व पुरस्कार -२००५," प्राप्त---
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काव्यनिर्झरिणी की रचनाएँ ----रचना एक ---वन्दना --
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नव कल्पना मन में जगे ,
नव व्यंजना सुर में सजे |
वाणी कलम को गति मिले,
करदो कृपा माँ शारदे !
कल्पना के पंख पाकर,
इस गगन के पार जाऊं |
तेरी वीणा के स्वरों की,
साधना में शान्ति पाऊँ |
मैं नमन कर गारहा हूँ,
गीत में संगीत भर दो |
छंद रस नव भावना से,
पूर्ण नूतन गीत कर दो |
वन्दना में तेरी ही माँ ,
गीत अर्चन कर रहा हूँ |
तेरे चरणों में ही ये ,
स्वर पुष्प अर्पण कर रहा हूँ |
नव-सृजन के मन्त्र की,
स्वर धार मेरे मन में भरदो |
अपनी वीणा की मधुर सी,
तान की झंकार कर दो |
नव कमल सा मन खिले ,
नव कल्पना स्वर में सजे |
वाणी कलम को गति मिले,
कर दो कृपा माँ शारदे ||
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काव्यनिर्झरिणी' तुकांत काव्य-रचनाओं का संग्रह ---डा श्याम गुप्त

                             ....कर्म की बाती,ज्ञान का घृत हो,प्रीति के दीप जलाओ...

मेरा द्वितीय काव्य संग्रह 'काव्यनिर्झरिणी' तुकांत काव्य-रचनाओं का संग्रह है |---सुषमा प्रकाशन , आशियाना द्वारा प्रकाशित , प्रकाशन वर्ष -२००५ ..
—नराकास , राजभाषा विभाग, गृहमंत्रालय, उप्र से "राजभाषा सम्मान व पुरस्कार -२००५," प्राप्त---